मुंबई: अमेरिका से आई मंदी की खबरों ने भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार मचा दिया। शेयर मार्केट में लगातार गिरावट का दौर जारी है। यह गिरावट चिंता का सबब भी बन रही है। वहीं, दूसरी तरफ मंगलवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू हो गई है। 8 अगस्त को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास एमपीसी बैठक के फैसलों की जानकारी देंगे। लेकिन इससे पहले ही कयास लगने शुरू हो गए हैं कि आरबीआई अगस्त की नीति बैठक में भी ब्याज दरें घटाने का फैसला नहीं लेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि होम लोन ग्राहकों को ईएमआई में कमी का इंतजार अभी और लंबा होगा। लेकिन अगर आरबीआई कोई फैसला लेता है तो यह एक बड़ा कदम होगा।
जानकारों के मुताबिक अगस्त की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रख सकता है। रेपो रेट में कटौती से पहले आरबीआई महंगाई दर में कमी की स्थिरता का आकलन करेगा। इसकी वजह यह है कि पहले जहां बेहतर मानसून के चलते महंगाई दर में कमी का अनुमान था, वह अब थोड़ा धुंधला होता जा रहा है, क्योंकि इस समय देशभर में मानसून असमान है। इसके चलते कुछ इलाकों में ज्यादा बारिश हो रही है जबकि कई जगहों पर औसतन कम बारिश दर्ज की जा रही है।
आरबीआई खुदरा महंगाई दर को रेपो रेट में कटौती का सबसे बड़ा आधार मानता है। फिलहाल आरबीआई 2 से 6 फीसदी के दायरे में रहने के बावजूद 5.1 फीसदी के साथ उच्च स्तर के करीब बना हुआ है। ऐसे में आरबीआई कुछ और समय इंतजार करने और इसकी चाल को परखने के बाद ही अगली पॉलिसी में रेपो रेट घटाने पर फैसला ले सकता है। हालांकि माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई दर में कमी आ सकती है, लेकिन बेस इफेक्ट के चलते इसके भी तेजी में बने रहने की उम्मीद है।
रेपो रेट में क्यों नहीं हुई कटौती
फिलहाल रेपो रेट में कटौती न करने की एक वजह यह भी है कि 2023-24 में ऊंची ब्याज दरों के बावजूद देश की विकास दर 8.2 फीसदी रही। वहीं अप्रैल-जून तिमाही में 4.9 फीसदी महंगाई दर का आंकड़ा भी अभी रेपो रेट में कटौती का संकेत नहीं दे रहा है। ऐसे में आरबीआई अगस्त की बैठक में रेपो रेट में कटौती नहीं करने का फैसला ले सकता है। अमेरिका में ब्याज दरों में कोई कमी नहीं घरेलू संकेतों के साथ-साथ विदेशी संकेत भी यही कह रहे हैं कि रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने पिछले सप्ताह हुई बैठक में अपनी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था। लेकिन फेड रिजर्व ने संकेत दिया था कि आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे आगामी नीतियों में रेपो रेट में कटौती की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में महंगाई का दबाव कम होने और अमेरिकी मौद्रिक नीति से सकारात्मक संकेत मिलने के बाद आरबीआई भी ब्याज दरों में कटौती का फैसला ले सकता है।