गांधीनगर: गुजरात में चांदीपुरा वायरस का प्रकोप जारी है। इसी बीच गुजरात के स्वास्थ मंत्री रुसीकेश पटेल ने फैल रहे इस वायरस की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार द्वारा इसे कंट्रोल करने की पूरी कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि राज्य में अबतक चांदीपुरा वायरस के 133 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से 37 मामले चांदीपुरा के हैं। वहीं अन्य मामलों की पुष्टि नहीं की गई है।
स्वास्थ मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अन्य सभी मरीजों के मिलते जुलते लक्ष्ण के कारण हम इसे निश्चित रूप से एक्यूट वायरल सिंड्रोम नहीं कह सकते हैं। एक्यूट वायरल सिंड्रोम लगभग हर साल आता है, लेकिन इस साल इस मामले में काफी वृद्धि हुई है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल फैल रहे वायरस का और सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का जायजा ले रहे हैं। साथ ही महामारी को नियंत्रित करने के सख्त कदम भी उठाए जा रहे हैं।
क्या है ये बीमारी
बता दें कि इस वायरस का सबसे आम लक्षण बुकार है। शरुआती तौर पर आम बुखार जैसा लगने वाला काफी जानलेवा है। इसके चपेट में आते ही तीव्र इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) होती है। इस वायरल को रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य बताया जा रहा है। जो की आमतौर पर कीट-पतंग, बालू मक्खी और मच्छरों के काटने से होता है।
इस वायरस का प्रकोप साल 2003-2004 में आंध्र प्रदेश और गुजरात में देखा गया था। जिससे की 56-75 प्रतिशत तक मृत्यु दर पहुंच गई थी। एक बार फिर से बढ़ते मामले ने लोगों को चिंता और भय में डाल दिया है। सरकार द्वारा भी इस मामले की निगरानी की जा रही है। साथ ही जल्द से जल्द मरीजों को राहत प्रदान करने का आदेश दिया गया है।
कैसे पड़ा ये नाम
इस वायरस के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले ये 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा में फैला था। जिसने 9 महीने से 14 साल के बच्चे को चपेट में लिया था। जिसके बाद से इस वायरस का नाम इसी गांव के नाम पर रख दिया गया। अब इसे आमतौर पर लोग चांदीपुरा वायरस ही कहते हैं। इसके प्रमुख लक्ष्णों में बुखार, उल्टी, दस्त और सिर दर्द शामिल है।