
इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फेमिली बिजनेस’ शीर्षक लेख में उन्होंने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा, ‘वंशवाद की राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है।
वंशवादी राजनीति को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के लेख पर सियासी हंगामा जारी है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने थरूर को चेताया है। उन्होंने कांग्रेस सांसद को ‘खतरों के खिलाड़ी’ करार दिया। साथ ही कहा कि पता नहीं उनके साथ अब क्या होगा। थरूर ने कहा था कि भारत की राजनीति में वंशवाद के बजाए योग्यता को जगह देने का समय आ गया है।
पूनावाला ने एक्स पर थरूर का लेख शेयर किया है। साथ ही लिखा, ‘भारतीय राजनीति एक पारिवारिक व्यवसाय कैसे बन गई है, इस पर डॉ. शशि थरूर द्वारा लिखित बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख। उन्होंने भारत के ‘नेपो किड’ राहुल और छोटा ‘नेपो किड’ तेजस्वी यादव पर सीधा हमला किया है।’ उनका दावा है कि यही कारण है कि कांग्रेस के ‘नामदार’ ‘कामदार चायवाले’ प्रधानमंत्री मोदी से नफरत करते हैं।
पूनावाला ने कहा, ‘हतप्रभ हूं कि इतनी स्पष्टता से बोलने के लिए डॉ. थरूर का क्या अंजाम होगा।’
उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘डॉ थरूर खतरों के खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने सीधे तौर पर ‘नेपो किड्स या ‘नेपोटिज्म’ के नवाबों को चुनौती दी है। सर (थरूा), जब मैंने 2017 में ‘नेपो’ नामदार राहुल गांधी को चुनौती दी थी तो आप जानते हैं कि मेरे साथ क्या हुआ था। सर आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूं…। प्रथम परिवार बहुत प्रतिशोधी है।’
थरूर ने क्या लिखा
इंडियन पॉलिटिक्स आर ए फेमिली बिजनेस’ शीर्षक लेख में उन्होंने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई पार्टियों का जिक्र किया है। उन्होंने कहा, ‘वंशवाद की राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। जब राजनीतिक ताकत योग्यता, प्रतिबद्धता या जमीन से जुड़ाव के बजाए वंश से पहचानी जाती है तो शासन की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।’
उन्होंने लिखा, ‘कम प्रतिभाओं को चुनने से फायदा नहीं होता, लेकिन यह खासतौर पर तब और परेशानी बढ़ जाती है जब उम्मीदवारों की मुख्य योग्यता उनका सरनेम हो। राजनीतिक घरानों के सदस्य उन चुनौतियों से दूर रहते हैं, जिनका सामना आम लोग करते हैं। ऐसे में वह लोगों की जरूरतों का जवाब देने में असमर्थ होते हैं। इसके बाद भी इस बात की गारंटी नहीं है कि उन्हें खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’

