

विस्तृत विवेचन
यह शायरी केवल आँखों में पड़ी धूल की बात नहीं करती, बल्कि जीवन के गहरे दर्शन को उजागर करती है।
“धूल फेंकना” यहाँ धोखे, छल और कठिनाइयों का प्रतीक है। जब कोई हमें तकलीफ़ देता है, तो वह हमारी आँखों में धूल झोंकने जैसा होता है।
लेकिन जैसे आँखों में धूल पड़ने पर हम उन्हें धोते हैं और वे और साफ़ हो जाती हैं, वैसे ही धोखे और मुश्किलें भी हमारी समझ और नज़र को और गहरी और चमकदार बना देती हैं।

“कमबख्त” शब्द यहाँ शिकायत भी है और व्यंग्य भी। जिसने धोखा दिया, उसी ने हमारी आँखें खोल दीं और हमें असलियत पहले से ज्यादा साफ़ दिखने लगी।
इसका सबसे बड़ा संदेश है – बुरे अनुभव और कठिनाइयाँ हमें गिराते नहीं, बल्कि और मज़बूत और समझदार बना देते हैं। धोखा और दर्द हमें जीवन की गहराइयों को देखने और सही दृष्टिकोण पाने की ताक़त देते हैं।

✨ Sandip Vengurlekar जी (Goa) की कलम से लिखा यह जीवन-दर्शन
हमें यह सिखाता है कि –
धोखे और मुश्किलें भी इंसान को और बेहतर बना देती हैं।