लोक सभा अध्यक्ष ने लोकतान्त्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने के लिए संस्थागत समन्वय

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पी.वी.आनंदपद्मनाभन

N Delhi / Mumbai
संसदीय समितियों को सरकार का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि सहयोग और सुधार के साधन के रूप में कार्य करते हुए रचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष

लोक सभा अध्यक्ष ने संसद तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के बीच अधिक समन्वय का आह्वान किया

लोक सभा अध्यक्ष ने सार्वजनिक व्यय पर समिति की कड़ी निगरानी और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिए जाने का समर्थन किया
प्राक्कलन समितियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनता का धन जन कल्याण के लिए खर्च किया जाए: लोक सभा अध्यक
प्राक्कलन समितियों के सम्मेलन में सर्वसम्मति से छह प्रस्ताव पारित किए गए

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद और राज्यों /संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में समापन भाषण दिया

संसद और राज्यों /संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज संपन्न हुआ। इस सम्मेलन का उद्घाटन सोमवार को महाराष्ट्र विधान भवन, मुंबई में लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने किया था ।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए, लोक सभा अध्यक्ष, श्री ओम बिरला ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए संस्थागत समन्वय को बढ़ावा देने, वित्तीय जवाबदेही बढ़ाने और प्रौद्योगिकी-आधारित शासन को अपनाने के महत्व पर जोर दिया । उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नीतियों के कुशल कार्यान्वयन और जन -केंद्रित प्रशासन के लिए शासन के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय आवश्यक है। पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन पर जोर देते हुए, अध्यक्ष महोदय ने जनता के धन के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए तंत्रों को मजबूत करने का आह्वान किया। इसके अलावा, उन्होंने प्रशासनिक दक्षता में सुधार, लोगों को सही समय पर सेवाएं प्रदान किए जाने और डिजिटल युग में सुशासन के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उन्नत डिजिटल टेक्नॉलॉजी का उपयोग करने का समर्थन किया
शासन में जवाबदेही और नवाचार के महत्व के बारे में बात करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समितियाँ चाहे केंद्र की या राज्यों की, सरकार का विरोध करने के लिए नहीं बनी हैं , बल्कि इन्हें सहयोग और सुधार के साधन के रूप में कार्य करते हुए रचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करना है । उन्होंने यह भी कहा कि सुविचारित सिफारिशें पेश करके तथा कार्यपालिका और विधायिका के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करके, ये समितियाँ पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी शासन में योगदान देती हैं। अध्यक्ष महोदय ने सदस्यों से आग्रह किया कि वे सहयोग और जिम्मेदारी की भावना से कार्य करते हुए संसदीय लोकतंत्र के स्तंभों के रूप में समितियों की भूमिका को सशक्त करें । उन्होंने संसद तथा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के बीच अधिक समन्वय का आह्वान भी किया ।

सार्वजनिक व्यय पर समिति की कड़ी निगरानी और प्रौद्योगिकी के उपयोग का समर्थन करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि एआई और डेटा एनालिटिक्स जैसे आधुनिक तकनीकी टूल्स का लाभ उठाकर, निगरानी तंत्र को अधिक सटीक और प्रभावशाली बनाया जा सकता है । उन्होंने व्यय की कड़ी निगरानी के लिए समितियों को आवश्यक संसाधनों और डिजिटल क्षमताओं के साथ सशक्त बनाने का आह्वान किया, ताकि वित्तीय अनुशासन को सुनिश्चित किया जा सके और सुशासन को बढ़ावा मिले। बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि जनता के साथ सीधे जुड़े होने के कारण जनप्रतिनिधियों को जमीनी स्तर के मुद्दों की गहरी समझ होती है और वे सार्थक सहभागिता के माध्यम से बजट की जांच बेहतर ढंग से कर सकते हैं।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि प्राक्कलन समितियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनता का एक-एक रुपया जन कल्याण पर खर्च हो, लोक सभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि देश के वित्तीय संसाधनों का उपयोग कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात को दोहराया कि प्राक्कलन समितियों का कार्य केवल व्यय की निगरानी करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कल्याणकारी योजनाएं आम आदमी के लिए प्रासंगिक, सुलभ और प्रभावी हों, जिसमें सामाजिक न्याय और कल्याण पर विशेष जोर दिया गया हो। श्री बिरला ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसे प्रौद्योगिकी-आधारित शासन से धन की चोरी कम हुई है और यह सुनिश्चित हुआ है कि लाभ सही लोगों तक पहुंचे और यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसका समर्थन प्राक्कलन समितियों को करते रहना चाहिए।

सम्मेलन के उद्देश्य और प्रभाव के बारे में बात करते हुए, श्री बिरला ने कहा कि यह मंच वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के लिए विधायी संस्थाओं की सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। श्री बिरला ने समिति की प्रक्रिया में लोगों की अधिक भागीदारी का आह्वान किया तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं में अधिक विश्वास पैदा करने के लिए समिति के निष्कर्षों का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार किए जाने का समर्थन किया । उन्होंने सुझाव दिया कि विधानमंडलों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए विशेषाधिकार समिति, याचिका समिति तथा महिला अधिकारिता समिति जैसी अन्य समितियों के लिए भी इसी प्रकार के सम्मेलन आयोजित किए जाने चाहिए। श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में बनी आम सहमति तथा व्यक्त विचार अधिक कुशल, उत्तरदायी तथा जन-केंद्रित शासन में परिवर्तित होंगे।

सम्मेलन में सर्वसम्मति से छह प्रमुख प्रस्तावों को पारित किया गया, जिनमें प्राक्कलन समितियों को सशक्त करने के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप प्रस्तुत किया गया ।

महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने समापन भाषण दिया । इस अवसर पर, राज्य सभा के उपसभापति, श्री हरिवंश और भारत की संसद की प्राक्कलन समिति के सभापति, संजय जायसवाल ने भी अपने विचार रखे। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता, श्री अंबादास दानवे ने स्वागत भाषण दिया और महाराष्ट्र विधान सभा के उपाध्यक्ष, श्री अण्णा दादू बनसोडे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति, श्री राम शिंदे, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष, राहुल नार्वेकर, भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के सदस्य, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापति , महाराष्ट्र विधान मंडल के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति समापन सत्र के दौरान उपस्थित रहे।
सम्मेलन में 23 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों और सदस्यों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन का आयोजन प्राक्कलन समिति की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया जिसमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में वित्तीय निगरानी के संस्थागत तंत्र को मजबूत करने और प्रशासनिक दक्षता में सुधार करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाया गया । सम्मेलन का विषय था, ‘प्रशासन में दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित करने के लिए बजट अनुमानों की प्रभावी निगरानी और समीक्षा में प्राक्कलन समिति की भूमिका’।

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