





राजेश लक्ष्मण गावड़े
मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम)
एसोसिएशन ऑफ सिने एंड टीवी/एड प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव्स, जो प्रोडक्शन प्रोफेशनल्स के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए समर्पित एक अग्रणी निकाय है, ने अपने 12वें वार्षिक पुरस्कार समारोह के साथ-साथ अपने शानदार स्वर्ण जयंती वर्ष का भी जश्न मनाया। जुहू, मुंबई स्थित इस्कॉन प्रेक्षागृह में 1 मई को आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह के मुख्य अतिथि श्री रामदास आठवले राज्य मंत्री,सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय (भारत सरकार) थे। इस कार्यक्रम में महाभारत के प्रसिद्ध श्री अर्जुन ( फिरोज खान ), श्री गजेंद्र चौहान, सुश्री आभा परमार, श्री अशोक पंडित, श्री अशोक दुबे, साजिद खान, प्रशांत वीरेंद्र शर्मा, राजीव निगम, एलेक्स ओनेल, विक्रम और कई अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी शानदार बना दिया। इस समारोह में प्रसिद्ध श्री शुजात अली खान द्वारा एक शानदार संगीतमय प्रस्तुति और मिमिक्री आर्टिस्ट नित्यानंद आनंद द्वारा एक मनोरंजक स्टैंड-अप कॉमेडी एक्ट ने प्रेरणा दायक उत्सव, पुरानी यादों और प्रेरणा का माहौल बनाया। इस 12वें पुरस्कार समारोह (2025) में फीचर फिल्म, टीवी सीरियल और एड फिल्मों के प्रोडक्शन से जुड़े प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव्स, मैनेजर, कंट्रोलर और लाइन प्रोड्यूसर्स को अवार्ड के साथ सम्मान पत्र दे कर सम्मानित किया गया। एसोसिएशन ऑफ सिने टीवी एड प्रोडक्शन एक्जीक्यूटिव एक संगठन है जो फिल्म और टीवी उद्योग में काम करने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विदित हो कि फिल्म उद्योग के उत्पादन क्षेत्र में कार्यरत उत्पादन नियंत्रकों और उत्पादन प्रबंधकों के व्यावसायिक हितों की रक्षा करने के उद्वेश्य से 1975 में स्वर्गीय श्री आर.के. हांडा, श्री राम मिलन वर्मा, श्री माणिक गुप्ता, श्री वी.के. माथुर, श्री गंगाधरम, श्री हरिंगटन बर्नार्ड ने ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 के अंतर्गत एसोसिएशन ऑफ सिने प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव्स के नाम से इस एसोसिएशन की स्थापना और पंजीकरण कराया था। स्वर्गीय श्री माणिक गुप्ता, श्री मोहम्मद शफी, श्री भूषण बर्मा और स्वर्गीय श्री ज्ञान सचदेव के कुशल और निपुण योगदान ने एसोसिएशन को मजबूती से स्थापित करने में काफी मदद की। बाद में, कवरेज का विस्तार करने और सदस्यों की संख्या में वृद्धि करने के लिए, टेलीविजन और विज्ञापन फिल्म क्षेत्र को इस एसोसिएशन में शामिल किया गया और एसोसिएशन का नाम बदलकर ‘एसोसिएशन ऑफ सिने एंड टीवी/ एड प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव्स’ कर दिया गया। एसोसिएशन के उपरोक्त सदस्यों की कड़ी मेहनत और प्रयासों के कारण, इस एसोसिएशन को फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज द्वारा मान्यता दी जा चुकी है। इस एसोसिएशन की यात्रा खार से लेकर नटराज स्टूडियो तक कई अस्थायी कार्यालयों से शुरू हुई थी, लेकिन जब तक कि बहुत प्रयास और समर्पण के साथ, अंधेरी पश्चिम के आदर्श नगर में आर्ट डायरेक्टर्स एसोसिएशन के साथ संयुक्त रूप से एक स्थायी कार्यालय का अधिग्रहण नहीं किया गया। बाद में, 2004 में, एसोसिएशन गर्व से परिसर का एकमात्र मालिक बन गया। 21वीं सदी की शुरुआत ने एक नए युग की शुरुआत की, जब एसोसिएशन ने 2001 में अपने वार्षिक पुरस्कार समारोह की शुरुआत की, जिसमें पहली बार प्रोडक्शन इंडस्ट्री के गुमनाम नायकों को ट्रॉफी और सम्मान देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा अपने सदस्यों को चिकित्सा सहायता, छात्रवृत्ति और संकट के दौरान वित्तीय सहायता और कार्य संपादन के बाद उचित पारिश्रमिक और कार्य स्थितियों के अनुरूप सुविधा उपलब्ध कराना ही इस एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि बाद के दिनों में श्री सुरेंद्र श्रीवास्तव, श्री राधेश्याम गुप्ता, श्री प्रकाश उपाध्याय, श्री शैलेश पंड्या, श्री दीपक कुमार चौधरी, श्री संजय शर्मा, श्री इमरान मर्चेंट, श्री भावेश पंचमतिया, श्री रवि चतुर्वेदी, श्री संतोष जाधव, श्री नवीन राय, श्री किरण शाही, श्री परवेज आलम खान, श्री अशोक आर. दुबे, श्री तपन कुमार सिंह और श्री सुरेंद्र मल्होत्रा जैसे नए दूरदर्शी लोगों के गतिशील नेतृत्व में, एसोसिएशन ने आधुनिकीकरण को अपनाया और अपने सदस्यों से बेहतर तरीके से जुड़ने और उनकी सेवा करने के लिए अपनी खुद की वेबसाइट लॉन्च की। पीएमसी बैंक संकट और विनाशकारी कोविड-19 महामारी के बीच भी, एसोसिएशन अडिग रही। इसने अपने कल्याणकारी कार्यक्रम जारी रखे, 2020 में सदस्य सदस्यता शुल्क माफ किया, राशन किट वितरित किए और फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज के सहयोग से प्रत्यक्ष रूप से अपने सदस्यों को वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदान की। 50 वर्षों का यह ऐतिहासिक मील का पत्थर बन कर खड़ा एसोसिएशन ऑफ सिने एंड टीवी/एड प्रोडक्शन एग्जीक्यूटिव्स न केवल समय बीतने का प्रतीक है, बल्कि अथक दृढ़ता, एकता और प्रगतिशील दृष्टि का प्रमाण भी है।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय



