

हां या न में दें जवाब’ एनकाउंटर पर बॉम्बे हाई कोर्ट सख्त सरकार से मांगा जवाब
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या वह बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की कथित मुठभेड़ में शामिल पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगी। मजिस्ट्रेट द्वारा जांच रिपोर्ट में कहा गया कि मृतक आरोपी के माता-पिता का फर्जी मुठभेड़ का दावा सही प्रतीत होता है और पुलिस का आत्मरक्षा का दावा संदिग्ध लग रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पांच पुलिसकर्मी आरोपी की मौत के लिए जिम्मेदार हैं।
अदालत ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा, “मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट आने के बाद क्या राज्य सरकार एफआईआर दर्ज करने का प्रस्ताव रखती है? हां या ना में जवाब दें।” राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अमित देसाई ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य पहले से ही स्वतंत्र जांच कर रहा है और जांच पूरी होने के बाद ही आरोप पत्र दाखिल करने या क्लोजर रिपोर्ट देने का निर्णय लिया जाएगा।
बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामला क्या है?
मृतक आरोपी को अगस्त 2024 में बदलापुर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह स्कूल में अटेंडेंट के रूप में कार्यरत था। 23 सितंबर 2024 को, जब पुलिस तलोजा जेल से उसे पूछताछ के लिए ठाणे जिले के कल्याण ले जा रही थी, तब उसकी पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई।
पुलिस का दावा और मजिस्ट्रेट की जांच में अंतर
पुलिस का दावा है कि आरोपी ने पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली और गोली चलाई, जिसके बाद आत्मरक्षा में उसे गोली मारी गई। जबकि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह फर्जी मुठभेड़ लगती है, और आत्मरक्षा का दावा संदेहास्पद है।
मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मी
मुठभेड़ के दौरान वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजय शिंदे ने आरोपी को गोली मारी थी। उस समय पुलिस वैन में सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे, दो कांस्टेबल और एक पुलिस चालक भी मौजूद थे। बॉम्बे हाई कोर्ट अब 10 मार्च 2025 को इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी और राज्य सरकार को स्पष्ट रुख अपनाने का निर्देश दिया गया है।
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