
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिनमें 2023 के नारी शक्ति वंदन अधिनियम के परिसीमन खंड को चुनौती दी गई थी। इस अधिनियम में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने का प्रविधान है।
किसने दाखिल की थी याचिका
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पीबी वराले की पीठ संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जया ठाकुर और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआइडब्ल्यू) की ओर से दाखिल याचिकाओं पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी। पीठ ने कहा कि जया ठाकुर की याचिका ने उस विधेयक को चुनौती दी, जो अधिनियम बन गया था। जबकि एनएफआइडब्ल्यू ने कानून के परिसीमन खंड को चुनौती दी थी। ठाकुर की याचिका को निरर्थक बताकर खारिज कर दिया गया।
याचिका पर विचार करने में इच्छुक नहीं कोर्ट
अदालत अनुच्छेद 32 के तहत एनएफआइडब्ल्यू की याचिका पर भी विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी। 21 सितंबर, 2023 को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने वाले विधेयक को संसद की मंजूरी मिली थी। जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 29 सितंबर, 2023 को इसे मंजूरी दी थी।








