
महाकुंभ का आयोजन ज्योतिष की गणितीय गणना के अनुसार होता है। इस मेले में अधिक संख्या में साधु-संत शामिल होते हैं। इस दौरान बेहद खास नजारा देखने को मिलता है। इसका आयोजन 12 साल बाद किया जाता है। इस बार महाकुंभ का महा आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं त्रिवेणी संगम पर स्नान का महत्व।
महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने रुद्राक्ष वाले बाबा, 2 लाख रुद्राक्ष धारण किए कर रहे तपस्या
प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 की शुरुआत होने में थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. इस मेला में कई साधु संत शामिल हो रहे हैं, लेकिन इस पूरे कुंभ मेला में एक रुद्राक्ष वाले बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
महाकुंभ 2025: प्रयागराज में महाकुंभ-2025 की भव्य शुरुआत होने में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं. आध्यात्मिकता और आस्था के इस महासंगम में देश-दुनिया से हजारों लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे. यह महाकुंभ कई अद्वितीय साधु-संतों और उनकी तपस्या की कहानियों के लिए चर्चित रहेगा. इस आध्यात्मिक समागम में आस्था, भक्ति और तपस्या की अद्भुत कहानियां लिखी जा रही हैं. इन्हीं में से एक प्रमुख आकर्षण बन चुके हैं सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने वाले बाबा. यह बाबा सनातन धर्म की सेवा और तपस्या की मिसाल बने हुए हैं, जिनका नाम गीतानंद गिरी है.