नई दिल्ली: बांग्लादेश वर्तमान में जोरदार राजनीतिक संकट से जुझ रहा है। जिसका कारण है कि बांग्लादेशी छात्रों के द्वारा आरक्षण को लेकर शुरू हुई हिंसा का भयावह रूप लेना है, इस हिंसा के कारण सैकड़ो लोगों को जान गवानी पड़ गई। इसी हिंसा को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई, जिसमें विदेश मंत्री एस जय शंकर ने बांग्लादेश हिंसा में हिंदुओ को टारगेट करने को लेकर बातें बोली।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश में लोग सड़कों पर हैं और वहां अल्पसंख्यक समुदाय हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। जयशंकर ने कहा कि अल्पसंख्यकों के हालात पर नजर रखी जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी हमला किया, जिसके बाद हालात बिगड़ गए।
हिंदुओं को बनाया गया निशाना
बांग्लादेश में भयावह हिंसा के बीच भारत सरकार लगातार रूप से वहां की स्थिति परिस्थिति पर नजर बनाए हुए है। इसी संदर्भ में मंगलवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश के हालात पर राज्यसभा में बयान देते हुए भारत का रुख स्पष्ट किया।
एस जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश में लोग सड़कों पर हैं और वहां अल्पसंख्यक समुदाय हिंदुओं को निशाना बनाया गया है। अल्पसंख्यकों के हालात पर नजर रखी जा रही है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भी हमला किया, जिसके बाद हालात बिगड़ गए। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना ने भारत आने की इजाजत मांगी थी।
एस जयशंकर ने बांग्लादेश को लेकर जताई चिंता
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश की स्थिति पर पहले राज्यसभा में और बाद में लोकसभा में स्वत: संज्ञान लेकर दिए गए बयान में कहा कि बांग्लादेश के साथ भारत के कई दशकों से गहरे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि वहां अस्थिरता और हिंसा वाले हालात पर यहां भी चिंता उत्पन्न हुई है। इस साल जनवरी में बांग्लादेश में चुनाव के बाद से ही वहां अत्यधिक तनाव, गहरे विभाजन और ध्रुवीकरण की स्थिति थी और इसी बुनियाद पर वहां जून में छात्रों के आंदोलन के साथ हालात बिगड़ने शुरु हुए।
बांग्लादेश हिंसा का भयावह रूप
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा कि आंदोलन हिंसक हो गया, सरकारी इमारतों पर हमले होने लगे, यातायात और ट्रेन सेवाएं बाधित की गईं। विदेश मंत्री ने कहा कि यह सिलसिला जुलाई तक जारी रहा और उच्चतम न्यायालय के 21 जुलाई के फैसले के बाद भी हालात नहीं बदले। जयशंकर ने कहा कि इस स्थिति में भारत ने संयम बरता और संवाद से समाधान की वकालत की।
उन्होंने कहा कि वहां विभिन्न राजनीतिक दलों और राजनीतिक ताकतों से भी यही आग्रह किया गया। उन्होंने कहा कि जो कुछ पड़ोसी देश में हुआ, उसका एक सूत्री एजेंडा यह था कि प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा दे दें। विदेश मंत्री ने कहा कि चार अगस्त को पुलिस थानों में पुलिस पर, सरकारी भवनों पर हमले बढ़ गए और देशभर में सरकार से जुड़े लोगों की संपत्तियों पर हमले होने लगे। पड़ोसी देश में कई स्थानों पर अल्पसंख्यकों के कारोबारों और मंदिरों पर हमले विशेष रूप से चिंताजनक हैं।
जयशंकर ने कहा कि पांच अगस्त को कर्फ्यू के बाद भी ढाका में प्रदर्शनकारी जमा हुए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी समझ है कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने बहुत कम समय में कल कुछ वक्त के लिए भारत आने की अनुमति मांगी थी और वह कल शाम यहां पहुंचीं।