मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास RSS के खिलाफ उनकी कथित टिप्पणियों के लिए 2014 की मानहानि की शिकायत पर गुण-दोष के आधार पर शीघ्र निर्णय पाने का वैध अधिकार है। जस्टिस पृथ्वीराज चह्वाण की सिंगल बेंच ने 12 जुलाई को दिए आदेश में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 हर किसी को त्वरित सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है और एक स्वतंत्र व निष्पक्ष सुनवाई आवश्यक है।
जानकारी के लिए बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरएसएस कार्यकर्ता को आपराधिक मानहानि की एक लंबित शिकायत में नए और अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की अनुमति देने वाले मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने की राहुल गांधी की याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की।
आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने 2014 में भिवंडी में मजिस्ट्रेट अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता ने एक भाषण के दौरान झूठा और अपमानजनक बयान दिया था कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए संघ जिम्मेदार है। मजिस्ट्रेट अदालत ने 2023 में कुंटे को राहुल गांधी के भाषण की प्रतिलिपि प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
समन को रद्द करने की मांग
राहुल का भाषण 2014 में दायर उनकी उस याचिका का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ जारी समन को रद्द करने की मांग की थी। कुंटे ने तर्क दिया कि प्रतिलिपि को अपनी याचिका में शामिल करके, राहुल गांधी ने “स्पष्ट रूप से भाषण और इसकी सामग्री का स्वामित्व प्राप्त कर लिया है।”
कांग्रेस नेता ने आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती
कांग्रेस नेता ने मजिस्ट्रेट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी न्यायमूर्ति चह्वाण ने अपने आदेश में कुंटे पर सवाल उठाया और कहा कि उनके आचरण के कारण इस मामले में ‘‘अनावश्यक रूप से देरी हो रही है तथा उसे लंबा खींचा” जा रहा है। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘प्रतिवादी संख्या 2 (कुंटे) भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर शिकायत के गुण-दोष के आधार पर उस पर जल्द से जल्द निर्णय पाने के याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) के वैध अधिकार को रोकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।” संविधान का अनुच्छेद 21 त्वरित सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है।