photo shoot by shailendra K. Sawant (NAVSARI Guj.)
जनकल्याण टाइम ब्यूरो
नवसारी। करीब 3 साल पहले प्रदेश में विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बदल गए, कुछ ही समय में कई निगमों के निजाम बदले यानी कि नवसारी कलेक्टर अमित प्रकाश यादव को बदल दिया गया, नीतियां बदलीं और नेता बदले। यानी गुजरात का पूरा राजनीतिक भूगोल ही बदल गया, लेकिन इतने बदलावों के बीच अगर कुछ नहीं बदला तो गुजरात के लोगों का दर्द नहीं बदला, सरकार-प्रशासन से बदलाव की आस लगाए बैठे लोगों की उम्मीदें नहीं बदलीं। क्योंकि गुजरात की सड़कों की हालत नहीं बदली। बात चाहे डायमंड सिटी का दर्जा हासिल शहर सूरत की हो या गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की या राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक के शहर नवसारी की। इन सभी शहरों में शहर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली सड़कें बेहाल हैं। सड़कों की हालत प्रशासन, राजनीतिज्ञों और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। वो सवाल जिनका जवाब इन शहरों के बाशिंदे ढूंढ रहे हैं कि आखिर कब यहां के हालात सुधरेंगे।
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बात नवसारी की करते हैं। विजलपोर एरु रोड रेलवे क्रॉसिंग फाटक के ठीक सामने शुभ लक्ष्मी अपार्टमेंट के पास से गुजर रही सड़क का ये नजर देखिये।
देखिये सड़कों की हालत कितनी खराब है कि सड़कें गहरे और चौड़े गड्ढों में तबदील हो चुकी हैं या ये कहें कि अब सड़कों में गड्ढे नहीं बल्कि गड्ढों में सड़कें नजर आती हैं..। हैरानी इस बात की है कि जानलेवा गड्ढे नहीं दिखाई देते तो सिर्फ प्रशासन को, नगर निगमों को, सरकार के नुमांइदों को। इनकी आंखें थोड़ी बहुत खुली जब भारत भाई देसाई जी ने आवाज़ उठाई। लेकिन कुछ दिन जागने के बाद प्रशासन फिर कुम्भकर्णी नींद में सो जाती है। अभी दो दिन पहले जनकल्याण टाइम के संपादक राजेश गावड़े जी उसी रास्ते से गुजर रहे थे तो उनको रास्ते पर रोककर भारत भाई देसाई जी ने अपनी आप बीती बताई। भारत भाई देसाई के जज्बे को जन कल्याण टाइम की टीम सैल्यूट करती हैं कि अभी के समय में लोगो के पास टाइम नही है अपने घर की समस्या से निपटने की तो लोग सेवा क्या ही करेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता भारत भाई देसाई के कर्तव्यों के प्रति जागरूकता को देखकर जन कल्याण टाइम न्यूज के संपादक राजेश गावड़े जी ने भारत भाई देसाई की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है। इसके बाद शायद कुंभकर्णी नींद सोये शासन, प्रशासन जागने लगे। और शहरों में भी अधिकारी व नेताओं के कानों पर जूं रेंगने लगे।
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ऐसा नहीं है कि सड़कों की यह हालत ब्रिज के निर्माण की वजह से हुई है। सड़क की यह खस्ता हाल आजादी के बाद से ही बनी हुई है। हालांकि बीजेपी सरकार बनने के बाद स्थानीय सांसद C.R. पाटिल ने दावा किया था कि एक साल के अंदर शहर की हर सड़क गडढा मुक्त होगी। पाटिल के इस दावे को खुली चुनौती दे रहे हैं विजलपोर एरु रोड रेलवे क्रॉसिंग फाटक की यह गड्ढ़े। महानगर में सिर्फ यह अकेली एक सड़क नहीं हैं बल्कि ऐसी सैकड़ों सड़कें हैं जो कि मौत को दावत दे रही हैं। एक केस तो ऐसा है कि आप और हम शर्म से मर जाएँ। सुनना चाहेंगे आप। चलिए बता ही देते हैं। बात नवसारी जिले की वांसदा तहसील के वांसकुई गांव की है। नवसारी जिले की वांसदा तहसील के वांसकुई गांव के पटेल फलिया के लोगों को आजादी के 77 साल बाद भी पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है। इसके लिए लोगों ने बार बार शिकायत की लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने बताया कि चुनाव के समय वोट मांगने के लिए आने वाले नेता हर बार आश्वासन देते हैं लेकिन बाद में कोई सुध नहीं लेता। वर्षों से लोग इसी हालत में हैं। बरसात में इस वजह से लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। बरसात में किसी की तबीयत खराब होने पर एम्बुलेन्स भी घर तक नहीं पहुंच पाती। जिससे कई बार लोगों की जान संकट में पड़ जाती है। सरपंच पर भी लोगों ने इस समस्या को हल न करने क आरोप लगाया। यहां रहने वाली रमीलाबेन पटेल ने बताया कि खराब रास्ता होने महिलाओं और बच्चों को बहुत परेशानी होती है। गर्भवती महिलाओं की कई बार तबियत खराब होने पर एम्बुलेन्स नहीं पहुंच सकती है इससे बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
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तो ये है हमारी सरकार। जब इस जिले में ऐसे कई गांव है जहाँ सड़क तक मयस्सर नहीं तो आप ही सोचिये विजलपोर एरु रोड रेलवे क्रॉसिंग फाटक के पास की इस खस्ता हाल रोड का सरकार और प्रशासन के कान पर जूं रेंगेगा कि नहीं। खैर हमारा काम है खबर देना बाकि जनता को तय करना है।