Politalks with Rajesh Gavade: बारामती में इस बार आसान नहीं होगी सुप्रिया सुले की राह, अब परिवार से ही मिल रही चुनौती

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राजनीति में कई बार अपनों के बीच ही मुकाबला होता है. सत्ता हासिल करने के लिए परिवार के लोग ही अपनों के खिलाफ हो जाते हैं. कभी बाप बेटे तो कभी पति पत्नी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में नजर आते हैं. महाराष्ट्र की सियासत में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिलने वाला है. यहां चुनावी मुकाबला ननद और भाभी के साथ ही दो ऐसे परिवारों के बीच होने जा रहा है जो कुछ समय पहले एक ही थे.

महाराष्ट्र की बारामती सीट पिछले कुछ समय से काफी सुर्खियों में छाई रही है. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले यहां से सांसद हैं. वहीं इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में सुप्रिया का मुकाबला अपनी भाभी सुनेत्रा पवार से होने जा रहा है. अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने बारामती सीट से सुनेत्रा पवार को उम्मीदवार बनाया है. सुनेत्रा अजित पवार की पत्नी हैं तो वहीं अजित पवार मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले के चचेरे भाई हैं. ऐसे में अब सुनेत्रा चचेरी बहन और शरद पवार की बेटी सुप्रिया के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी.

55 सालों से पवार परिवार का गढ़

बात करें बारामती लोकसभा क्षेत्र की तो यह क्षेत्र पिछले 55 सालों से पवार परिवार का गढ़ रहा है. 1967 में पहली बार शरद पवार ने बारामती से महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव जीता था. इसके बाद जीत का सिलसिला आगे भी जारी रहा. शरद पवार ने साल 1972, 1978, 1980, 1985 और 1990 के विधानसभा चुनावों में यहां से शानदार सीट रही. यही वजह है कि इस क्षेत्र से पवार परिवार का खास रिश्ता बन गया है.

2009 से सुप्रिया कर रहीं नेतृत्व

पिता के इस रिश्ते को बेटी सुप्रिया सुले ने आगे बढ़ाया. सुप्रिया ने 2009 से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. जिसके बाद वो लगातार यहां से जीत दर्ज कर रही हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सुप्रिया ने आरएसपी के उम्मीदवार महादेव जगन्नाथ जानकर को शिकस्त दी थी. इस चुनाव में सुप्रिया ने 5 लाख 21 हजार 562 वोट हासिल किए थे. वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुप्रिया ने बीजेपी उम्मीदवार कंचन राहुल कूल को हराया था. सुप्रिया ने कंचन को 1 लाख 55 हजार 774 वोटों से मात दी थी.

चौथी बार चुनावी मैदान में सुप्रिया

इस बार सुप्रिया सुले चौथी बार बारामती से चुनावी मैदान में उतरी हैं. लेकिन इस बार उन्हें किसी और से नहीं बल्कि अपने ही परिवार से चुनौती मिली है. ऐसे में इस बार का चुनाव सुप्रिया के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि शरद पवार क्षेत्र की जनता से सालों पुराने रिश्तों की दुहाई देकर बेटी को जिताने की अपील कर रहे हैं. तो वहीं अजित पवार पीएम मोदी के सहारे मैदान में जीत दर्ज कर क्षेत्र में अपना कब्जा जमाने की फिराक में हैं.

बारामती की जनता के लिए भी ये चुनाव सुप्रिया और सुनेत्रा की तरह किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. बारामती पवार परिवार का गढ़ रहा है. जो इस बार परिवार के बीच होने वाले चुनावी मुकाबले का गवाह बनने जा रहा है. ऐसे में यहां के लोगों के लिए परिवार के दो सदस्यों में से किसी एक को चुनना एक बड़ी चुनौती है.

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