पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ टिप्पणी को लेकर पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष मुश्किल में नजर आ रहे हैं। भाजपा के बाद चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने भाजपा सांसद दिलीप घोष को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आयोग ने इस नोटिस पर 29 मार्च शाम 5 बजे तक दिलीप से जवाब देने को कहा है। दूसरी तरफ दिलीप घोष ने ममता बनर्जी को लेकर दिए गए अपने विवादास्पद बयान पर बुधवार को खेद जताया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और अन्य लोगों को उनके शब्दों के चयन पर आपत्ति है। अगर ऐसा है तो मुझे इसके लिए खेद है। घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रति मेरी कोई व्यक्तिगत शत्रुता नहीं है। मैंने उनकी राजनीतिक टिप्पणियों का जवाब दिया है। अगर पार्टी ने इसे असंवैधानिक पाया है तो मुझे दुख है। मैं अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया भेजूंगा। पहली बार नहीं है कि मेरे बयानों पर विवाद खड़ा हुआ है, क्योंकि मैं गलती करने वालों के मुंह पर अपनी बात कहता हूं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने केवल ममता बनर्जी के राजनीतिक बयानों का विरोध किया था। घोष ने कहा कि उनकी टिप्पणियों पर महिला सम्मान की बात उठी है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और उनके पिता शिशिर अधिकारी के खिलाफ अपमानजनक बात कही है तो क्या उनका अपमान नहीं है? घोष ने दुर्गापुर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि क्या शुभेंदु केवल इसलिए सम्मान की अपेक्षा नहीं कर सकते क्योंकि वे पुरुष हैं? भाजपा ने मेदिनीपुर से निवर्तमान सांसद घोष को इस चुनाव में बर्दवान-दुर्गापुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा है। उन्होंने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के बांग्ला में दिए गए एक नारे का मजाक उड़ाया था जिसका अर्थ है ‘बंगाल अपनी बेटी को ही चाहता है।
पार्टी ने घोष से मांगा स्पष्टीकरण
मंगलवार देर शाम बीजेपी ने घोष को कारण बताओ नोटिस दिया और टीएमसी प्रमुख के खिलाफ उनकी टिप्पणी के लिए स्पष्टीकरण मांगा। नोटिस में कहा गया है कि आपकी टिप्पणियां असंसदीय और भाजपा की विचारधारा के विरुद्ध हैं। पार्टी ऐसी टिप्पणियों की निंदा करती है। पार्टी प्रमुख जे.पी.नड्डा के निर्देश पर, आपसे तुरंत अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देने को कहा जाता है।