Gujarat: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत की आजादी के बाद देश में बहुत से ब्रांड बने लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं है। आज अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है। उन्होंने यह बात गुरुवार को अहमदाबाद के मोटेरा में स्थित नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में आयोजित गुजरात दूध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ-अमूल) के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि अमूल दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी डेयरी कंपनी है। इसे जल्द से जल्द दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी बनाना है। सरकार हर तरह से आपके साथ खड़ी है और ये मोदी की गारंटी है।
मोदी ने कहा कि अमूल सरकार और सहकार के तालमेल का बेहतरीन मॉडल है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से हम आज दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश हैं।अमूल से 18 हजार से ज्यादा दूध सहकारी मंडली जुड़ी हैं। 36 लाख किसानों के नेटवर्क से हर दिन साढ़े तीन करोड़ लीटर से ज्यादा दूध का संग्रहण हो रहा है। हर रोज पशुपालकों को 200 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन पेमेंट आसान नहीं है।
6 फीसदी दर से आगे बढ़ रहा भारत का डेयरी सेक्टर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया में डेयरी सेक्टर सिर्फ 2 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है, जबकि भारत में डेयरी सेक्टर 6 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है। भारत के डेयरी सेक्टर में 8 करोड़ लोग सीधे जुड़े हैं। पिछले 10 साल में देश में दूध उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
डेयरी सेक्टर की रीढ़ है महिला शक्तिमोदी ने कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़ महिला शक्ति है। इस सेक्टर में काम करने वालों में 70 फीसदी महिलाएं व बेटियां हैं। आज जब भारत महिला के नेतृत्व में विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है, तो भारत के डेयरी सेक्टर की ये सफलता, उसके लिए बड़ी प्रेरणा है।
महिला की आर्थिक शक्ति बढ़ानी आवश्यक
पीएम ने कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए देश की प्रत्येक महिला की आर्थिक शक्ति बढ़नी आवश्यक है। सरकार इसके लिए चौतरफा काम कर रही है।
बंजर जमीन बनेगी चारागाह, सरकार देगी मदद
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पशुधन की समृद्धि के लिए बुधवार रात हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। नेशनल लाइव स्टॉक मिशन में संशोधन कर देसी नस्ल की प्रजातियों को बचाने के लिए नए उपायों की घोषणा हुई है। बंजर जमीन को चारागाह की तरह उपयोग में लाने के लिए भी आर्थिक मदद देने का निर्णय लिया है। पशुधन का बीमा कराने में किसान का कम खर्च हो, इसलिए प्रीमियम की राशि कम करने का फैसला लिया है। ये फैसले पशुओं की संख्या बढ़ाने, पशुपालकों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होंगे।