महानगरपालिका संचालित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति में गुरुवार को सामान्य सभा का आयोजन हुआ। यह सभा हर बार की तरह ही काफी हंगामेदार ही रही। हर बार किसी न किसी मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने आ ही जाते हैं।
18 जनवरी को आयोजित नगर प्राथमिक शिक्षा समिति बैठक में जूते-मोजे और यूनिफॉर्म की गुणवत्ता व उसे देने में देरी के मुद्दे पर बहस हो गयी। विपक्ष की ओर से आरोप लगाए जा रहे थे कि नगर निगम द्वारा संचालित नगर प्राथमिक शिक्षा समिति के स्कूलों में जूते-दस्ताने और यूनिफॉर्म वितरण में हमेशा ही देरी होती है। बच्चों के लिए खरीदे जा रहे सामान की गुणवत्ता जैसे मुद्दों को लेकर झड़प शुरू हो गई।
विपक्ष का कहना था कि सैंपल रिपोर्ट सिर्फ एक बार दी गई। जितनी बार खरीदारी करें उतनी बार सैंपल रिपोर्ट देना जरूरी है। उनके मुताबिक एजेंसी की ओर से नियमों का पालन नहीं किया जा रहा तो सत्तापक्ष का कहना था कि विपक्ष झूठे मुद्दे उठाकर सिर्फ विरोध करना जानती है।
साल के अंत में बच्चों को मिलती है यूनिफॉर्म: विपक्षी
नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की ओर से प्रतिवर्ष विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, बूट-मोजे नि:शुल्क दिए जाते हैं, लेकिन हर बार इनकी गुणवत्ता और वितरण के समय को लेकर विवाद होते रहा है। विपक्ष ने इन चीजों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। विपक्ष के सदस्य राकेश हीरपरा ने आरोप लगाया कि एजेंसियों की ओर से नियमों का पालन नहीं किया जाता। सैम्पल की रिपोर्ट भी समय पर नहीं दी जाती । जब साल खत्म होता तो बच्चों को यूनिफॉर्म जैसी जरूरी चीजें मिलती हैं।
लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यदि चीजें समय पर नहीं मिलती हो तो कार्रवाई करनी चाहिए जबकि समिति अध्यक्ष धनेश शाह बोले कि सब कुछ नियमों के तहत ही हो रहा, लेकिन विपक्ष झूठे मुद्दे उठाकर सिर्फ विरोध चाहता है। इसके अलावा शिक्षकों और अन्य स्टाफ की कमी का मुद्दा भी सामान्य सभा में गूंजा।
सीमा विस्तार से मनपा में शामिल नए 35 स्कूलों के 17000 विद्यार्थियों के लिए यूनिफॉर्म, बूट-मोजे का ऑर्डर नवम्बर में दिया गया। काम भी उन्हीं एजेंसियों को सौंपा गया जो कि जो बार-बार नियमों का उल्लंघन करती रही है।