नई दिल्ली. अब 18 साल से छोटे बच्चे अपने माता-पिता की सहमति के बगैर ऑनलाइन नहीं हो पाएंगे। इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले बच्चों की उम्र वेरिफाई करने और उनके पैरेंट्स की अनुमति लेने के लिए सरकार आधार आधारित सिस्टम की शुरुआत कर सकती है। आधार के नियमों में कई महत्त्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। आधार से बच्चों की सही उम्र का पता लगाया जाएगा। इसके लिए सरकार उनके माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य करने वाली है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आइटी मंत्रालय डेटा सुरक्षा नियमों पर परामर्श शुरू करने की तैयारी में है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम को चार महीने पहले अगस्त में अधिसूचित किया गया था। इस अधिनियम के उपयोग के लिए कम से कम 25 नियम बनाने होंगे। सरकार को ऐसे किसी भी प्रावधान के लिए नियम बनाने का अधिकार दिया गया है, जिसे वह जरूरी समझती है। इनमें ऑनलाइन सेवा का इस्तेमाल करने से पहले बच्चे की उम्र सत्यापित करने के लिए सहमति ढांचा विकसित करना शामिल है। अधिनियम में कहा गया है कि कंपनियों को 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को अपने प्लेटफॉर्म तक पहुंचने की इजाजत देने के लिए उसके माता-पिता से सहमति लेनी होगी। बताया जाता है कि इसके लिए दो तरीकों की सिफारिश की उम्मीद जताई जा रही है। पहला माता-पिता के डिजीलॉकर ऐप का उपयोग करना और दूसरा इलेक्ट्रॉनिक टोकन प्रणाली बनाना।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 19 दिसंबर को प्रस्तावित नियमों पर सरकार उद्योग स्टेकहोल्डर्स के साथ बंद कमरे में बैठक कर सकती है। इससे संकेत मिलता है कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट जल्द ऑपरेशनल हो सकता है। इस एक्ट के तहत कंपनियों को अधिक जवाबदेह बनाया जाएगा।