सूरत. शहर में बड़े पैमाने चारों ओर रियल एस्टेट के नए-नए प्रोजेक्ट चल रहे हैं। नए प्रोजेक्ट्स में फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) के लिए बिल्डर्स ने सूरत महानगर पालिका को बड़ी रकम भी चुकाई है। गुजरात में सूरत का रियल एस्टेट सेक्टर अहमदाबाद के बाद नंबर दो पर है। कोरोना के बाद से सूरत में कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट की डिमांड तेजी से बढ़ी है, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि बिल्डर्स ने एफएसआई पाने के लिए बीते 5 साल में सूरत मनपा को दिए 126 करोड़ रुपए के चेक रिजेक्ट हो गए। यह सभी चेक अलग-अलग कारणों से रिजेक्ट हुए हैं, लेकिन करोड़ों के प्रोजेक्ट बनाने वाले बिल्डर्स के चेक रिजेक्ट होना भी आश्चर्यजनक है। हालांकि इनमें ज्यादा चेक कोरोना काल में रिजेक्ट हुए थे। किसी भी महानगर पालिका के लिए एफएसआई आवक के लिए महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
कोरोना के कारण वर्ष 2020-21 में मनपा की आय भी एफएसआई के तौर पर घट कर 182 करोड़ रही थी। सूरत महानगर पालिका को वर्तमान वित्तीय वर्ष में 900 करोड़ रुपए की आवक हो चुकी है। ऐसा भी माना जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में सूरत महानगर पालिका 1200 करोड़ से अधिक की आवक एफएसआई से कमा लेगी।
उल्लेखनीय है कि बिल्डर्स की ओर से जो चेक दिए जाते हैं, यदि वे बाउंस होते हैं तो मनपा उनसे 18 प्रतिशत पेनल्टी और 8 फीसदी ब्याज के अनुसार वसूली करती है। इतना ही नहीं, जब बिल्डर अपनी एफएसआई का चेक पूरा नहीं कर देते, तब तक मनपा की ओर से बिल्डिंग यूज सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जाता। जो चेक बाउन्स होते हैं उनसे वसूली भी शुरू कर दी जाती है।