सूरत. संसद के विशेष सत्र में बुधवार को महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद अब राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कोई बिल के टाइमिंग पर सवाल उठा रहा है तो कोई इसे चुनाव में महिलाओं वोट बैंक की राजनीति बता रहा है। इस बीच गुरुवार को सूरत में आप आदमी पार्टी की महिला पार्षदों ने भी प्रेसवार्ता के जरिए साझा बयान जारी कर सरकार को घेरने का प्रयास किया। उन्होंने इसे ‘महिला मूर्ख बनाओ’ बिल बताया।
मनपा में विपक्षी पार्षद पायल साकरिया, रचना हीरपरा, दिप्ती साकरिया, सेजल मालविया ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया। उन्होंने महिला आरक्षण बिल का स्वागत किया, लेकिन उसके टाइमिंग पर सवाल उठाए। महिला पार्षदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर महिला वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा महिलाओं को आरक्षण देना ही नहीं चाहती। यदि सरकार महिला की राजनीति में भागीदारी बढ़ाना चाहती है तो जातिगत जनगणना या सीमा विस्तार के बजाए सीधे ही वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू करना चाहिए। सरकार को नौ सालों तक महिला आरक्षण की याद नहीं आई और अब चुनाव सिर पर हैं तब महिलाओं के बिल की याद आ रही है। जबकि हकीकत यह है कि महिला आरक्षण का अमल वर्ष 2026-27 से पहले होना असंभव है, इसके बावजूद सिर्फ महिला वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए विशेष सत्र बुला कर बिल पास किया गया। इसका अमल कब होगा यह किसी को पता नहीं। ऐसे में महिला आरक्षण बिल ‘महिला मूर्ख बनाओ बिल’ से अधिक कुछ नहीं है।